ताइपे। चीन भारत सहित सभी पड़ोसियों के लिए खतरा बना हुआ है। उस पर भरोसा करना मुश्किल है। चार दशक बाद किसी उच्चस्तरीय अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल के ताइवान दौरे से चिढ़े चीन के लड़ाकू विमानों ने पड़ोसी देश के हवाई क्षेत्र में घुसने की कोशिश की। ताइवान ने पलटवार किया तो वे निकले। रविवार को यहां पहुंचे अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व स्वास्थ्य मंत्री एलेक्स अजार कर रहे हैं। ताइवान के रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, चीन के जे-11 और जे-10 लड़ाकू विमानों ने स्थानीय समयानुसार सुबह नौ बजे जैसे ही ताइवान की खाड़ी में मध्य रेखा को पार किया, उन पर जमीन से हवा में मार करने वाले मिसाइलें दागी गईं और पैट्रोलिंग विमानों को पीछे लगा दिया गया। यह देखकर चीनी विमान तुरंत भाग निकले। चीन की तरफ से कोई टिप्पणी नहीं की गई है।
China became ashamed, Taiwan dropped missiles on Chinese fighter aircraft
न्यूज एजेंसियों के अनुसार ताइवान के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि चीन ने निश्चित रूप से अमेरिकी मंत्री के दौरे से खीझ कर ऐसी हरकत की। उसे यह महंगा पड़ सकता था, क्योंकि चीनी लड़ाकू विमान ताइवानी मिसाइलों की जद में आ गए थे। चीन 2016 से अब तक तीन बार ऐसी हरकत कर चुका है।
इस बीच सैटेलाइट की तस्वीरों में खुलासा हुआ कि चीन ने ताइवान के तट के पास पानी और जमीन दोनों पर ही चलने में सक्षम जंगी जहाज और मोबाइल मिसाइल लॉन्चर तैनात किए हैं।
चीन ने कुछ दिन पहले ही परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम मिसाइल का परीक्षण भी किया था। यही नहीं, चीन लगातार ताइवान के हवाई क्षेत्र में अपने लड़ाकू जहाज भेज रहा है। ताइवान पर खतरे को देखते हुए अमेरिकी नौसेना ने भी इस इलाके में अपनी गश्त बढ़ा दी है।
चीन के लड़ाकू विमान और बमवर्षक विमान दक्षिण चीन सागर में कई अभ्यास कर चुके हैं। चीन ने यहां पर टाइप 05 आर्मर्ड व्हीकल को तैनात किया है जो जमीन और पानी दोनों पर ही चलने में सक्षम है।
चीन यह दावा करता रहा है कि ताइवान उसका हिस्सा है और वह किसी कीमत पर उसे अपने साथ मिलाकर रहेगा। चाहे चीन को युद्ध ही क्यों न करना पड़े। पिछले दिनों चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने एक भाषण में कहा था कि हम इसका वादा नहीं करेंगे कि हम शक्ति या सभी विकल्पों के विचार का इस्तेमाल नहीं करेंगे।
इस बीच, ताइवान पहुंचे अमेरिकी स्वास्थ्य मंत्री एलेक्स अजार ने राष्ट्रपति साई-इंग-वेन से मुलाकात की। उन्होंने कहा, ‘ताइवान के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से समर्थन और दोस्ती का संदेश लेकर यहां आना वाकई सम्मान की बात है।’
अजार ताइवान के साथ आर्थिक और स्वास्थ्य सहयोग मजबूत करने तथा कोरोना वायरस के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय लड़ाई में ताइवान की भूमिका का समर्थन करने के लिए यहां आए हैं।
चीन ने अजार के दौरे को अमेरिका का विश्वासघात करार दिया है। अमेरिका ने चीन के पक्ष में 1979 में ताइवान से राजनयिक संबंध तोड़ लिए थे। चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है और यदा-कदा सैन्य कार्रवाई की धमकी भी देता रहता है।